दिन मेरा यू ही गुजर गया सम्सान घाट की शाम पर
मैं यही सोचता रहा कोरोना पर
सम्शान घाट पर क्यू मौतो की वजह से लकड़ियाँ कम पड़ रही है? क्यू ये कोरोना इत्ना भयानक रूप ले रहा है दिन पर दिन इस कोरोना आखिर लोगो के मन मे डर की अपनी जगह बना ही ली एक तरफ कोरोना से मौत तो दूसरी तरफ सम्शान घाट पर लाशो का ढेर । अब तो इन लाशो की वजह से अन्तिम संस्कार के लिये लकड़िया भी कम पड़ने लगी है क्युकी अब घाटो पर दहकती हुई लाशे ही नजर आ रही है। और उन्हे भी अब जैसे ट्रेन की टिकट के लिये वेटिंग लिस्ट में लगना पड़ता है वैसे ही अब अन्तिम संस्कार के लिये भी लोगो को वेटिंग लिस्ट मे लगना पड़ रहा है इस कोरोना ने कितना अपना आतंक मचा कर रखा है ।आखिर ये कोरोना किसी आतंकवादी से कम नही है। जो की लोगो की जिन्दगी छीन ने के बाद भी उन्हे अन्तिम संस्कार के लिये भी जगह नही दे रहा है। और इन लाशो की वजह से लकड़ियो का संकट खड़ा हो गया है ये कोरोना अपना भयानक रूप लेता ही जा रहा है ।और अगर हम थोड़ा आगे बड़ कर चले तो देश की राजधानी के सम्शान घाटो पर लकड़ी की कमी हो गयी है दिल्ली में ये कोरोना सब्से ज्यादा अपना विकराल रूप लेता जा रहा है । क्योंकि दिल्ली के आस पास के राज्यो के लोग सभी इलाज के लिये दिल्ली की ओर बड़ रहे है क्यूूकी देेेेश के बड़े-बड़े hospitals सिर्फ दिल्ली मे ही है इसलिये । सबसे बड़ी बात जो Aims की होने की वजह से क्योकी इस समय राजधानी मेंं हाहाकार मचा हुआ हैै
"कोरोना के पहले जब हालात सामान्य थे तब सम्शान घाटो पर लाशो को जलाने के लिये लकड़ी 6000से 8000Kg प्रतिदिन था लेकिन अब यह आकड़ा 80,000से 90,000Kg प्रतिदिन हो गया। आखिर कब ये हाहाकार खत्म होगा ।शायद आज की युवा पीढ़ी को ये जानलेवा, अनदेखी,।बिमारी जिंदगी भर याद रहेगी। क्योकी इस बीमारी ने करोड़ो मासूंम लोगो की जान ली है "क्योकी ये कोरोना एक पहेली बन कर रह गया है । आखिर क्यो Vaccine लगने के बाद भी ये अनदेखी बिमारी पीछा नही छोड़ रही है।
""कभी कभी मेरे दिल मे ख्याल आता है क्या मैं आप के लिये आगे चलकर और भी ब्लोग लिख पाऊंगा भी या नही आखिर कोरोना तेरा किसी ने क्या बिगाड़ा है""""""""""""""""""""""""""
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