लाइफ़साइट नाम की कनाडा की एक वेबसाइट ने नोबेल विजेता और फ्रेंच बायोलॉजिस्ट लूच मॉन्टेनियर के हवाले से एक खबर छापी है इसके मुताबिक नोबेल विजेता ने बड़े पैमाने पर हो रहे हैं वैक्सीनेशन को लेकर आगाह किया और कहा कि वैक्सीन लगवाने ऐतिहासिक भूल होगी क्योंकि इससे नए वेरिएंट ही पैदा होंगे इन वेरिएंट से और ज्यादा मौतें होंगी।
रिपोर्ट के अनुशार कहा गया है कि फ्रांस के वायरलॉजिस्ट ने अपने दावे को लेकर एंटीबॉडी डिपेंडेंट एनहैंसमेंट यानी एडीई के सिद्धांत का हवाला दिया है साल 2008 में नोबेल जीतने वाले प्रोफेसर मॉन्टेनियर का कहना है कि वैक्सीन की वजह से ही नए वेरिएंट पैदा होंगे।
वायरल हो रही खबर में कहा गया कि वैक्सीन लगाने पर एंटीबॉडी बनती है जिससे भारत के लिए बहोत डर वाली स्थिति बन जाती है। भारत अपने अस्तित्व को बचाने के लिए दूसरे समाधान बनने पर मजबूर हो जाता है इसी स्थिति में नए वेरिएंट पैदा होने की आशंका रहती है हालांकि दुनिया के तमाम वैज्ञानिक इस बात को सिरे से खारिज करते हैं वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वैक्सीन लगाने के कारण एंटीबॉडी के नए वैरीअंट बनने की बात बेबुनियाद ई मेड पेज टुडे में छपे एक आर्टिकल में वैज्ञानिकों ने इस आशंका को पूरी तरह से गलत बताया है
साइंस ट्रांजिशनल मेडिसिन ब्लॉग इन द पाइपलाइन मेंं
प्रोफेसर डेरेक लोवे ने बताया की corona की वैक्सीन के विकास के शुरुआती चरण में वैज्ञानिकों ने source covid -2 की प्रोटीन के उसी हिस्से को निशाना बनाने की कोशिश की जिससे एंटीबॉडी डिपेंडेंट एनहैंसमेंट के होने की संभावना ना के बराबर थी वैज्ञानिकों ने जानवरों पर भी इसकी जांच की और ह्यूमन ट्रायल से भी अभी तक ऐसे किसी खतरे के कोई संकेत नहीं मिले हैं उन्होंने कहा इस बात को लेकर कोई शक नहीं है कि वैक्सीनेटेड लोगों में पुराना संक्रमण के गंभीर मामले नहीं देखने को मिले वैक्सीनेशन के बाद लोगों को हॉस्पिटल जाने की जरूरत नहीं पड़ रही है अगर ए डी ई वाली बात सच होती तो ऐसा नहीं होता।
और इनके पास नोबेल विजेता लूट माउंटेनियर इससे पहले भी वह वैक्सीन को लेकर अपने दावों से विवादों में आ चुके हैं नोबेल विजेता ने एक इंटरव्यू में कहा था कि कोरोना वायरस वुहान की लैब से निकला है जहां चीनी वैज्ञानिक एचआईवी की वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहे थे उन्होंने यह भी कहा था कि एचआईवी रेट्रोवायरस के एलिमेंट में कोरोना वायरस में भी मौजूद हैं प्रसिद्ध साइंस मैगजीन नेचर वैज्ञानिक के इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया था।
वैक्सीन को लेकर बहुत से अफवाह है पहले भी किए जा चुके हैं हेल्थ रेंजर नाम के एक यूजर ने एक आर्टिकल में लिखा था जो काफी वायरल हुआ था इसमें दावा किया गया कि कोरोना की एमआरएनए वैक्सीन आने वाले 5 सालों में धरती की आधी आबादी का सफाया कर देगी ऐडम्स की पोस्ट को फेसबुक पर खूब शेयर किया जा रहा है इसमें लिखा है एक महत्वपूर्ण बार अधिकतर लोग जो एमआरएनए वैक्सीन ले रहे हैं 5 साल के भीतर उनकी मौत हो जाएगी अमेरिका में अभी 4000000 लोगों को भी लग चुक और यह आंकड़ा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है साल 2025 में पूरी दुनिया की आबादी पर निर्भर करता है कि कितने लोग ये वैक्सीन लेते है।
21 फरवरी तक के डाटा के मुताबिक अमेरिका में 6 करोड लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज दी गई थी जिसमें 1099 लोगों की मौतें दर्ज हुए सीडीसी का कहना है कि वैक्सीन के संबंध को लेकर अभी तक कोई प्रमाण मिले नहीं है इसलिए कुछ आगे कहा नहीं जा सकता है।
वैक्सीन एंड बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स एडवाइजरी कमेटी ने भी 16 फरवरी तक के डाटा के आधार पर एक रिपोर्ट सौंपी इसमें पाया गया उसकी ज्यादातर लोगों ने फाइजर और मॉडरना वैक्सीन लगवाने के बाद सिर्फ सिर दर्द महसूस किया।
अमेरिका की सरकार वैक्सीन पर होने वाले संभावित साइड इफेक्ट्स भी निगरानी कर रही है इसके लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई है जिसमें वैक्सीन लगवाने के बाद किसी ने मेडिकल समस्या को रिपोर्ट किया जाता है इस मामले की जानकारी होती है जिनमें वैक्सीन लगाने के बाद किसी की मौत हो गई हो इसमें यह भी कहा गया है कि वैक्सीन लगाने वाली हर मौत का कारण नहीं है और भी कई गंभीर बीमारियां होती हैं।
0 Comments
If you have any doubts please let me know