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भारत में E Mobility लायेंगे और देश को प्रदूषण मुक्त बनाएंगे।

दोस्तों आज हम E-mobility के बारे में बात करेंगे कि भारत में 2030 तक इलेक्ट्रिक व्हीकल का क्या इफ़ेक्ट होगा।
दोस्तो राष्ट्रीय राजमार्ग एवँ  परिवहन मंत्री श्री नितिन गडगरी ने 2018 में कहा था की 2030 तक पेट्रोल और डीज़ल से चलने वाले व्हीकल बन्द हो जायेंगे इसकी जगह इलेक्ट्रिक व्हीकल होगें इसके बाद आने वाले समय में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश E.V के मामलें मे हो जाएगा इसलिये जाहिर सी बात ये  इलेक्ट्रिक क्रांती बहोत बड़ी होने वाली है।

हम सभी देख रहे हैं कि पिछले छह 7 महीने से बहुत ज्यादा इलेक्ट्रिक व्हीकल के ऊपर ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि हाल ही में टेस्ला मोटर्स  के हेड एलन मस्क जो कि जल्द ही वह अपने ऑपरेशन भारत में भी शुरू करने वाले हैं।
कंपनी
ऐसे में अगर देखा जाए तो बहुत सारे राज्यों में जैसे उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक स्कूटर की प्रोडक्शन ही नहीं बल्कि मैन्युफैक्चरिंग भी शुरू हो चुकी है और रिसर्च भी जोरों से चल रही है और रिसर्च का जो मुख्य बिंदु है वह लिथियम आयन बैटरी के ऊपर है क्योंकि वैसे आत्मनिर्भर भारत की मुहिम छेड़ गई है इसलिए जो बैटरी और इलेक्ट्रिकल्स का सामान चाइना से आता था इन सामानों को बहुत ही कम करने की कोशिश है जितना हो सके उतनी कम हो जाए क्योंकि इन सभी में लगने वाले सामान कि आयात अधिकतर चाइना से ही  की जाती हैं इसलिए आत्मनिर्भर बनना बहुत ही ज्यादा जरूरी है।

सबसे पहले क्या मुझे यह बताने की जरूरत होगी कि इलेक्ट्रिक व्हीकल अच्छे होंगे या नहीं ?
अब इंडिया में सबसे बड़ी समस्या है प्रदूषण की और यह जो प्रदूषण है इसका मुख्य कारण है ईंधन का जलना क्योंकि इस फ्यूल की वजह से ही प्रदूषण हो रहा है क्योंकि हमारी सभी गाड़ियों में चाहे वो टू व्हीलर हो, या फोर व्हीलर हो ,चाहे वह कमर्शियल व्हीकल हो यहां तक चाहे वह ट्रेन हो यह सारी चीजें ईंधन पर ही निर्भर करती है।
क्योंकि आप भी समझ चुके होगे कि इंडिया में प्रदूषण कितनी ज्यादा हद तक बढ़ चुका है।

अगर हम वर्ल्ड इकोनामिक फोरम की बात करें 
जो विश्व के टॉप 10 प्रदूषित शहर उनमें से जो 6 शहर है वह भारत के है और अब यह बहुत ज्यादा सोचने वाली बात है कि प्रदूषण को कैसे कम किया जाएगा कैसे इसे रोका जाए।

इसलिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि हमें इलेक्ट्रिकल्स के ऊपर बात करनी है बहुत जरूरी है और हमें इसके ऊपर ध्यान देना बहुत जरूरी है 
"और अगर हमें प्रदूषण को रोकना है तो कुछ अलग कौशल और तकनीकी की जरूरत होगी "

चलिए बात करते हैं भारत के तेल आयात के बारे में-
भारत के जो 84% तेल का आयात है वह विदेश से आता है और सिर्फ 16% हम लोग खुद अपना प्रोडक्शन कर रहे हैं पेट्रोल और डीजल और अगर हम इलेक्ट्रिक व्हीकल के ऊपर आत्मनिर्भर हो जाएंगे तो हमें बाहर के देशों से जो पेट्रोल और डीजल आता है तो यह बंद हो जाएंगे और जिससे कि भारत की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो जायेगी और विदेश जाने वाला पैसा भी बच जाएगा जो कि भारत में ही लग सकेगा
और यह जो हम आत्मनिर्भरता की बातें करते हैं यह इस ईंधन में एक बहुत बड़ा सवाल बनकर जरूर आता है

और उसके बाद बहुत से ऐसे सवाल हैं जिस पर हम अपनी सहमति जाहिर कर सकते हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल काफी अच्छे हैं क्योंकि जिस गति से टेक्नोलॉजी बढ़ रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बातें हो रही हैं इकोनॉमिक की बातें हो रही है फ्यूल सेविंग की बातें हो रही है क्योंकि इस पर असहमति जाहिर करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इलेक्ट्रिक व्हीकल बहुत ज्यादा फायदेमंद रहेगा हमारी इकोनामी प्रदूषित रहित देश के लिए 
बहोत से  विकसित देश है उन्होंने पहले से ही अपना ध्यान इलेक्ट्रिक व्हीकल के ऊपर देना शुरू कर दिया है क्योंकि जो फ्यूल व्हीकल होती है उन्हें इलेक्ट्रिक व्हीकल में ही शिफ्ट करना है और इसके साथ ही एक और चीज आप को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है अगर मैं इलेक्ट्रिक कार ले रहा हूं तो इसके लिए आपका इलेक्ट्रिसिटी भी कहां से आ रहा है उसके लिए भी ध्यान देना बहुत जरूरी है आप के लिए।

आइए जानते हैं कि इलेक्ट्रिक व्हीकल के ऊपर सबसे बड़ी चुनौती क्या साबित हो सकती है और इनसे कैसे लड़ना है ?
बहुत बड़ी चुनौती है इलेक्ट्रिक व्हीकल को शिफ्ट करना अगर हमें सभी व्हीकल्स इलेक्ट्रिक में शिफ्ट करने हैं तो हमें बहुत बड़ी चुनौती उसका सामना करना पड़ेगा और उन चुनौती को हमें हराना भी होगा।

सबसे बड़ा चैलेंज होगा चार्जिंग Infrastructure 
अब अगर मुझे कही जाना है तो मैं अपनी गाड़ी निकाल लूंगा और अगर उस गाड़ी में पेट्रोल और डीजल नही है तो मैं किसी पेट्रोल पंप पर जाऊंगा और गाड़ी में पेट्रोल या डीजल भराऊंगा और चला जाऊंगा 
अब सवाल यह उठता है कि पेट्रोल पंप कितनी दूरी पर होगा जो मुझे मिल जाएगा ?
भारत में कुल 718 जिले हैं और इन 718 जिलों में 7 लाख फिलिंग स्टेशन है अगर मैं निकलूंगा अगर मेरी गाड़ी में फ्यूल नहीं है तो मुझे 5 से 10 किलोमीटर पर पेट्रोल पंप किसी भी हालत में मिल जाना चाहिए
अगर मेरे पास एक इलेक्ट्रिक व्हीकल है और मैं अपने घर से निकल चुका हूं और उस इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी में चार्ज कम है अगर गाड़ी बंद हो गई तो कहां उस गाड़ी को चार्ज करूंगा। 
 भारत में कुल 400 चार्जिंग स्टेशन है जो की इलेक्ट्रिक व्हीकल को चार्ज करने में मदद करता है क्योंकि अगर इस समय आप इलेक्ट्रिक व्हीकल लेकर निकल रहे हो तो बहुत बड़ी रिस्क पर हो अगर आपको चार्जिंग स्टेशन नहीं मिला।

"" क्योंकि भारत में चार्जिंग स्टेशन के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत ज्यादा जरूरी है ""
लेकिन सरकार पहले से ही इस चीज पर काम कर रही है अगर इन 7 लाख फिलिंग स्टेशन पर चार्जिंग स्टेशन आ जाए तो यह बहुत ही बड़ी बात होगी इसलिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बड़ी बात होगी भारत के लिए।

अब दूसरी बड़ी चुनौती होगी ऊंची लागत
अगर मैं कोई कार खरीदता हूं बात करते हैं मारुति सुजुकी स्विफ्ट डिजायर की ऑन रोड प्राइस आपको शुरू हो जाएगी 7 लाख के आसपास अब 7 लाख में एक कार आपको मिल जाएगी जो भी हो पेट्रोल कार या डीजल कार हो 
अगर मैं वहीं पर इलेक्ट्रिक कार की बात करूं टेस्ला मोटर्स की जो कार मॉडल 3 है इसकी कीमत भारत में 60 लाख के आसपास होगी बात करते हैं कि अगर टेस्ला इंडिया में आने वाली है और मार्केट में आने वाली है तो क्या सामान्य जनसंख्या इस कार को खरीद सकती है l इंडिया में टेक्नोलॉजी की भी समस्या बहोत है अगर मैंने एक मारुति स्विफ्ट डिजायर कार खरीदी पेट्रोल की कार है और उसमें पेट्रोल नहीं है अब उसका मैं टैंक फुल करा दूंगा लगभग उसमें 40 लीटर पेट्रोल भर दूंगा और अगर मेरी गाड़ी 15 का माइलेज देगी तो लगभग 600 किलोमीटर मेरी गाड़ी चल सकती है

अब मैं इसके बाद पूरी तरह से चार्ज मारुति इलेक्ट्रिक स्विफ्ट डिजायर को निकालूंगा तो क्या यह फुल चार्जिंग में 600 किलोमीटर तक चल पाएगी यह भी एक सबसे बड़ा चैलेंज होगा। 
आप लोगों ने ऐड देखा होगा टीवी पर इथर व्हीकल का उसकी रेंज है पूरी तरह से चार्ज होने पर 120 किलोमीटर और ये 120 किलोमीटर इसकी सबसे ज्यादा रेंज है क्योंकि इससे भी ये थोड़ा कम ही है अब सवाल सोचने वाला ये आता है की क्या 120 किलोमीटर पर कोई चार्जिंग स्टेशन मिले फिर से सवाल वही होता है।
और साथ ही साथ बैटरी की टेक्नोलॉजी पर बहोत ज्यादा ध्यान देना चाहिए लिथियम आयन से शिफ्ट करना चाहिए अगर लिथियम आयन बैटरी की बात चल रही है तो इसके रिजल्ट कहा पर है थोड़े बहोत इंडिया में लिथियम आयन के रिजल्ट जरूर मिले है लेकिन टेक्नोलॉजी की वजह से इक्विपमेंट्स की वजह से बहोत सारी चीजे आयात करते है बाहर से और कहा से इंपोर्ट होती है चाइना से क्योंकि हमारी निर्भरता हो गई है चाइना के ऊपर इलेक्ट्रिक व्हीकल और उनके इक्विपमेंट्स पर और उनके कंपोनेंट्स और मटेरियल पर यह समस्या सबसे बड़ी समस्या है।
अब अगर हम बात करें तो इंडिया में स्किल्ड वर्क फोर्स की भी बहुत बड़ी कमी है 
अगर हम लोगों ने सारी समस्या को सुलझा भी दिया उसके बाद जो सबसे बड़ी समस्या होगी ऑटोमोबाइल क्षेत्र में संभावित व्यवधान होगी जो की पहले से ही कई कंपनियों ने अपनी पकड़ मार्केट में मजबूत बना रखी हैं जैसे हुंडई, किया,एमजी हेक्टर,मॉरिस गैरेज, बहोत सारी कम्पनी आ रही है टेस्ला भी आ रही है अगर हम सभी इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ बढ़ रहे हैं उसके लिए भी धीरे-धीरे से काम करने की जरूरत होगी यानी कि अगर इलेक्ट्रिक व्हीकल बना रहे है तो मारुति को भी समय लेना चाहिए ताकि वो Ic (Internal Combustion Engine) इंजन से इलेक्ट्रिक में बदली जा सके वैसे ही इन सभी कंपनी अब अपना काम कर रही है और इसके लिए समय की भी जरूरत होगी क्योंकि ऑटोमोबाइल सेक्टर में ये बहोत बड़ी चुनौती बन कर साबित होंगी और इन चुनौतियों को हराना भी बहोत जरूरी होगा।

इसके लिए हमे क्या करना होगा या हम लोग पहले से ही इस पर काम कर रहे है 
अगर हम लोग सरकार की बात करें भारत सरकार ने 2013 में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान बनाया था और उस पर बहुत जोरों से भी काम भी हो रहा है और ध्यान भी दिया जा रहा है।

इसके बाद 2015 में ही बहुत महत्वपूर्ण एक स्कीम आई थी आपने शायद सुना होगा FAME इस समय इसका दूसरा फेज भी शुरू हो चुका है जिसका नाम फेम 2 है जोकि फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (फेम इंडिया 2015)
उनका जो दूसरा फेज शुरू हो चुका है यह सिर्फ चार चीजों पर बहुत महत्वपूर्ण और बहुत अच्छे से रिसर्च भी कर रहे हैं 

1_किस तरह से इलेक्ट्रिक से टेक्नोलॉजी को डेवलपमेंट करें 
2_किस तरह डिमांड को बढ़ाया जा सके
3_ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के ऊपर बहुत ही ज्यादा ध्यान देना
4_और साथ ही साथ पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर रहे है फेम इंडिया के तहत


इसके बाद अगर हम बात करे MeITy's 
मिनिस्ट्री ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी जहा पर फेज मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम है जिसकी शुरवात 2016 में हुई जहां पर इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस किया जा रहा है जो सबसे बड़ा ध्यान है वह बैटरी टेक्नोलॉजी के ऊपर है जिस पर यह काम भी कर रहे हैं।
और उसके बाद अगर हम बात करें National Mission Transformative Mobility and Battery Storage 2019 
यह एक नया मिशन शुरू हुआ था इनको जो मुख्य ध्यान है और जो काम होगा वह बैटरी के ऊपर होगा बैटरी स्टोर से ऊपर जोकि रिसर्च एंड डेवलपमेंट के ऊपर होगा जो कि यह बाहर के देशों को भी भारत में बुला रहे हैं जो कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण टेस्ला मोटर्स का ध्यान  क्योंकि भारत में इ मोबिलिटी के ऊपर बहुत कुछ काम हो रहा है और उसके बाद बहुत कुछ करने की जरूरत भी है

ई मोबिलिटी के ऊपर जो हमारे ध्यान देने वाली चीज होनी चाहिए जिस पर ध्यान दिया भी जा रहा है बहोत तेजी से
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया में कितने चार्जिंग स्टेशन है सिर्फ 400 इनको बहुत ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है और इंडिया ने यह भी ठान लिया है कि 2023 तक 2900 चार्जिंग आ जाएंगे क्योंकि इसकी मुहिम छेड़ गई है भारत सरकार की तरफ से।
इसके अलावा बैटरी टेक्नोलॉजी पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है और 2019 का मिशन इसके ऊपर फोकस कर रहा है
हाल ही में टाटा मोटर्स ने एलान किया की अपनी कम्पनी
टाटा केमिकल्स और टाटा मोटर्स के साथ मिलकर भारत में Lethium -ion बैटरी बनायेगी और इनकी अस्सेंब्लींग करेगी लेकिन ये कांम दूसरे देशो से Cobolt और Lethiom जैसे खनिज के आयात के मदद से ही किया जा सकता है

इसके बाद मेक इन इंडिया इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के ऊपर भी फोकस हो चुका है पहले से ही 
"इसके बाद जो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में सबसे महत्वपूर्ण बात है वो है ev education इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के ऊपर एजुकेशन क्योंकि इस पर काम करने के लिए education curriculum आना  चाहिए  क्योंकि इसमें वोकेशनल कोर्स की बहोत ज्यादा जरूरत है जो की ग्रेजुएट के साथ हो और पोस्ट ग्रेजुएट की भी बहोत ज्यादा जरूरत है जो की रिसर्च की भी बहोत ज्यादा जरूरत है  इसे हम बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटी स्किल यूनिवर्सिटी , इंस्टीट्यूट, और इलेक्ट्रिक व्हीकल यूनिवर्सिटी से इसकी शुरवात कर सकते है  ताकि और भी ज्यादा मदद मिल सके इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इंडस्ट्री को अगर 2030 तक इलेक्ट्रिक व्हीकल की ओर नही बढ़ पाए तो 2040 या 2050 तक बहोत आगे हम निकल चुके होंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की ओर।






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