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उत्तरप्रदेश में शराब की दुकान खोलने से ऐसा लगता है। जैसे शराब प्रेमियों को शराब नहीं ऑक्सीजन सिलेंडर मिल गया हो।

कोरोना के मरीजों के लिए जबरदस्त सुविधाओं के लिए बहुत ही कमी है और एक तबका ऐसा भी है जिससे इन सारी बातों का कोई भी सरोकार नहीं उन्हें मतलब है सिर्फ शराब से उत्तर प्रदेश के कई शहरों में शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दे दी गई है लेकिन जब दुकानें खुली तो ऐसी भीड़ इकट्ठा हुई है जैसे ही  शराब नहीं एक कोरोना मरीज को जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर मिल जाता है वैसे लगता है इन्हें सिलेंडर मिल गया हो कोरोना कर्फ्यू में गाइडलाइंस की ऐसी धज्जियां इन्होंने उड़ाई है आइए आपको आगे बताते हैं।


इस दूसरी लहर की महामारी के समय गौर से देखिए इन जनाबो को जो जाम के जुगाड़ में पहुंचे हैं अपने एक ही रास्ता मधुशाला पर कवि हरिवंश राय बच्चन ने अपनी कविता में लिखा था"" बैर कराते मंदिर मस्जिद मेल कराती मधुशाला"" मधुशाला को देखकर यह मालूम पड़ता है शराब कोरोना वायरस का इलाज भी करती है तभी तो जैसे ही 1 हफ्ते के बाद नोएडा गाजियाबाद आगरा कानपुर में शराब की दुकानों के शटर जैसे ही खुले लोगों के चेहरे पर खुशी झलक पड़ी लोग दौड़ते हुए अपने डोज का इंतजाम करने के लिए पहुंच गये। निकले लोगों के चेहरे पर ऐसी खुशी थी जैसे आज के दौर पर किसी कोरोना मरीज को ऑक्सीजन सिलेंडर मिल गया हो लंबे इंतजार के बाद किसी कोरोना मरीज को  वैक्सीन और कोविदशील्ड की पहली डोज मिल गई हो। जुवान से सीएम योगी के लिए इतनी दुआएं निकली जैसे सरकार ने कोरोना का मुफ्त में इलाज का ऐलान कर दिया हो ।

""""""""""""""""""काफी दिन से बहुत ही शराब की किल्लत चल रही थी लोग इसको ब्लैक में बेच रहे थे 800 की शराब 1500 2000 कि ऐसे पैसे देकर हमें ब्लैक में खरीदनी पड़ रही थी जिससे बहुत परेशानी हो रही थी लोगों को सरकार के इस फैसले से  ठेका खोलने से काफी संतुष्टि  है............. शराब प्रेमी।

मधुशाला में कोरोना की दवा तलाश करते लोग सिर्फ यूपी में नहीं दिखे बल्कि यूपी के बाहर के कई शहरों पर शराब के ठेकों पर ऐसी हालत देखी नही होगी। सैकड़ों लोग अपने घर से बाहर निकल कर शराब की तलाश में निकल पड़े ।
शराब के लिए वोट की कहानी सिर्फ एक शहर या एक राज्य की नहीं है।

फायदा हो सकता आप को बता देते है WHO कि रिपोर्ट के अनुशार शराब के कारण हर साल लगभग 2.50,000 भारतीयों की मौत हो चुकी एक रिपोर्ट के अनुशार शराब के नशे की वजह से एक्सीडेंट में हर साल एक लाख मौत होती है कैंसर के कारण 30000 जनजाति की मृत्यु होती है।

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